Wife Property Rights – पति की जमीन में अब पत्नी का भी पूरा हक तय! 10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, जिससे देशभर की करोड़ों महिलाओं को राहत मिली है। अब सिर्फ बेटे या पति ही नहीं, बल्कि पत्नी को भी वैवाहिक जीवन के दौरान अर्जित की गई संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिलेगा। यह फैसला भारतीय समाज की सोच और कानून दोनों में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जहां अब महिला को भी बराबरी का दर्जा मिल रहा है। अगर आपके घर में भी जमीन-जायदाद या पैतृक संपत्ति को लेकर कोई उलझन है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब पत्नी को मिलेगा संपत्ति में बराबर का हक
10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया कि यदि कोई पुरुष शादी के बाद जमीन या संपत्ति अर्जित करता है, तो उस पर उसकी पत्नी का भी कानूनी हक होगा। यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और महिला अधिकार कानूनों की व्याख्या के बाद लिया गया।
- फैसला सिर्फ वैवाहिक जीवन के दौरान अर्जित संपत्ति पर लागू होगा।
- पति की पैतृक संपत्ति पर यह फैसला सीधे लागू नहीं होता।
- यदि पत्नी ने घरेलू कार्यों में योगदान दिया है, तो उसे भी ‘सह-स्वामी’ माना जाएगा।
- यह फैसला तलाक के मामलों में भी पत्नी को ज्यादा मजबूती देगा।
इस फैसले से किन लोगों को मिलेगा सीधा फायदा?
इस ऐतिहासिक फैसले से खासकर उन महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा जो:
- शादी के बाद पति के साथ रहीं और घर का पूरा प्रबंधन संभाला।
- पति की कमाई से खरीदी गई जमीन या फ्लैट में हिस्सा नहीं था।
- जिनकी शादी के बाद कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं था, पर उन्होंने घरेलू योगदान दिया।
उदाहरण:
रचना देवी (भोपाल, मध्य प्रदेश):
20 साल से अपने पति के साथ घर चलाने वाली रचना देवी को अब कानूनी रूप से उनके पति द्वारा खरीदी गई जमीन में हिस्सा मिलेगा। पहले उनके नाम पर कुछ नहीं था, पर अब वे कोर्ट के फैसले के बाद दावा कर सकती हैं।
क्या कहता है कानून? – वैवाहिक संपत्ति का नया नजरिया
इस फैसले से वैवाहिक संपत्ति की परिभाषा को नया आयाम मिला है। कोर्ट ने माना है कि:
- विवाह एक साझेदारी है।
- पत्नी का घरेलू योगदान भी आर्थिक योगदान की तरह है।
- सिर्फ आय अर्जित करना ही संपत्ति का मालिक बनना नहीं है।
संपत्ति के हक का यह फॉर्मूला अब लागू होगा:
योगदान का प्रकार | हक मिलने की स्थिति | कानूनी मान्यता |
---|---|---|
आर्थिक (जैसे नौकरी) | हां | पूर्ण अधिकार |
घरेलू कार्य | हां | आंशिक अधिकार |
बच्चों की परवरिश | हां | सह-स्वामित्व |
परिवार की देखभाल | हां | मान्यता योग्य |
शादी के समय कोई एग्रीमेंट | स्थिति आधारित | कोर्ट तय करेगा |
पैतृक संपत्ति | नहीं | बाहर रखा गया |
तलाक के समय संपत्ति | हां | बराबरी का अधिकार |
कोर्ट ने क्यों दिया ये फैसला? – फैसले के पीछे की सोच
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि महिला का घरेलू योगदान ‘अनदेखी की गई संपत्ति’ की तरह है। भारत जैसे देश में लाखों महिलाएं सिर्फ घर चलाने में अपनी पूरी जिंदगी दे देती हैं, पर उन्हें संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता।
- महिला को अब ‘संपत्ति अधिकार’ देने से उसकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- यह फैसला सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
ये फैसला कब से लागू होगा और कैसे मिलेगा फायदा?
यह फैसला 10 जुलाई 2025 से पूरे देश में प्रभावी हो चुका है। इसका लाभ उठाने के लिए किसी महिला को:
- अगर तलाक या संपत्ति विवाद चल रहा है तो कोर्ट में अपील करनी होगी।
- कोर्ट में यह साबित करना होगा कि वैवाहिक जीवन में उन्होंने घरेलू योगदान दिया है।
- अगर पति की मृत्यु हो चुकी है, तो यह अधिकार उत्तराधिकार में लागू हो सकता है।
मेरी व्यक्तिगत राय और अनुभव

मेरी एक रिश्तेदार की कहानी बिल्कुल इस फैसले से मेल खाती है। उन्होंने अपनी शादी के 25 साल सिर्फ घर और बच्चों को दिया। पति ने कई प्रॉपर्टी खरीदी पर एक भी चीज उनके नाम नहीं थी। जब उनके पति की मृत्यु हुई, तो उन्हें कुछ भी नहीं मिला क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था। अब इस फैसले से ऐसे लाखों महिलाओं को न्याय मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित होगा।
यह फैसला आने वाले समय में समाज को कैसे बदलेगा?
- अब पुरुष शादी के बाद अपनी पत्नी को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे।
- महिलाएं आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरी होंगी।
- समाज में महिला के घरेलू कार्यों को मान्यता मिलेगी।
- तलाक के मामलों में महिला के लिए आर्थिक स्थायित्व बढ़ेगा।
यह फैसला महिलाओं के हक की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम है। पति की संपत्ति में पत्नी का अधिकार अब सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि कानूनी भी बन चुका है। अगर आपने अब तक अपनी पत्नी को हिस्सेदार नहीं बनाया है, तो अब वक्त है सोच बदलने का। वहीं, महिलाओं को भी अपने अधिकार को लेकर जागरूक होना होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या पत्नी को पति की पैतृक संपत्ति में भी हक मिलेगा?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ वैवाहिक जीवन में अर्जित संपत्ति पर लागू होता है, पैतृक संपत्ति पर नहीं।
2. क्या यह फैसला मुस्लिम, ईसाई या अन्य धर्मों पर भी लागू होगा?
फिलहाल यह फैसला मुख्यतः हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आया है, लेकिन आगे चलकर इसे दूसरे पर्सनल लॉ में भी लागू किया जा सकता है।
3. क्या तलाक के बाद भी पत्नी को जमीन में हिस्सा मिलेगा?
अगर जमीन शादी के दौरान खरीदी गई थी और पत्नी ने घरेलू योगदान दिया है, तो उसे हिस्सा मिल सकता है।
4. इस फैसले का फायदा लेने के लिए कोर्ट जाना जरूरी है क्या?
हां, अगर संपत्ति विवाद है तो कोर्ट के माध्यम से ही कानूनी अधिकार प्राप्त किया जा सकता है।
5. क्या बिना नौकरी किए पत्नी को भी अधिकार मिलेगा?
हां, अगर पत्नी ने घर चलाया है, बच्चों की देखभाल की है, तो उसे भी समान अधिकार मिलेगा।