Cheque Bounce Rule – चेक बाउंस का मामला अब पहले से कहीं ज़्यादा गंभीर हो गया है। पहले जहाँ लोग इसे हल्के में लेते थे और केस सालों कोर्ट में लटकते रहते थे, अब वही मामला सीधा जेल या भारी जुर्माने की ओर बढ़ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई से कुछ नए सख्त नियम लागू किए हैं, जिनके बाद चेक बाउंस पर कार्रवाई तेज़, असरदार और तगड़ी हो गई है। अब ज़रूरत है कि आम लोग, व्यापारी और प्रोफेशनल्स इस बदलाव को समझें और इसके हिसाब से अपने व्यवहार में बदलाव लाएँ। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
चेक बाउंस क्या होता है?
जब आप किसी को भुगतान के लिए चेक देते हैं और वह चेक बैंक में जमा कराने के बाद भी कैश नहीं होता यानी रद्द हो जाता है, तो उसे ‘चेक बाउंस’ कहा जाता है। यह मामला खासतौर पर तब गंभीर होता है जब चेक किसी लेन-देन, उधारी या कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिया गया हो।
चेक बाउंस के आम कारण
- खाते में पर्याप्त पैसे न होना
- गलत हस्ताक्षर या ओवरराइटिंग
- बंद खाता
- तकनीकी गलती या गलत जानकारी
नया कानून क्या कहता है?
18 जुलाई 2025 से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार चेक बाउंस की घटनाओं पर अब पहले से कहीं ज़्यादा सख्ती से कार्रवाई होगी। अब यह केवल एक दीवानी (civil) मामला नहीं बल्कि एक आपराधिक (criminal) अपराध माना जाएगा।

मुख्य बिंदु:
- चेक बाउंस पर अब त्वरित सुनवाई और निर्णय
- दोषी पाए जाने पर सीधे जेल की सज़ा (अधिकतम 2 साल)
- या फिर भारी जुर्माना (चेक राशि का दोगुना तक)
- कई मामलों में दोनों भी संभव
किसे होगा सबसे ज़्यादा असर?
इस नियम का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो किसी को चेक देते हैं — चाहे वो व्यापारी हों, नौकरीपेशा लोग हों या फ्रीलांसर। अब लापरवाही करने का जोखिम बहुत भारी पड़ सकता है।
उदाहरण:
- राजेश जी ने अपने किराएदार को सिक्योरिटी डिपॉज़िट के रूप में ₹25,000 का चेक दिया। चेक बाउंस हुआ और किराएदार ने कोर्ट में केस कर दिया। अब राजेश जी को या तो पूरा पैसा दोगुना करके देना पड़ा या 6 महीने की जेल का सामना करना पड़ा।
- सीमा मैडम, जो ट्यूशन देती हैं, उन्हें एक अभिभावक ने ₹10,000 का चेक दिया। चेक बाउंस हुआ। पहले तो सीमा जी ने सोचा फिर से ले लेंगी, लेकिन अब कानून इतना सख्त है कि उन्होंने केस फाइल कर दिया और जल्दी ही उन्हें पैसा वापस मिल गया।
कोर्ट के नए दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर कुछ ठोस दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिससे प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष हो।
दिशा-निर्देश | विवरण |
---|---|
जल्द सुनवाई | 6 महीने के अंदर निपटारा |
एक साथ सुनवाई | एक ही आरोपी के कई मामलों की एक साथ सुनवाई |
डिजिटल सुनवाई की छूट | ज़रूरत होने पर वीडियो कॉल के ज़रिए पेशी |
सजा का प्रविधान | 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों |
दोषी की संपत्ति ज़ब्त | अदायगी न करने पर चल/अचल संपत्ति ज़ब्ती |
आम जनता को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
कुछ ज़रूरी बातें जो हर किसी को ध्यान में रखनी चाहिए:
- चेक देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि हो
- चेक पर सही तारीख, हस्ताक्षर और जानकारी भरें
- व्यापारिक लेन-देन में UPI या ऑनलाइन ट्रांसफर को प्राथमिकता दें
- पुराने और पोस्ट डेटेड चेक से बचें
क्या यह नियम आम लोगों की मदद करेगा?
बिलकुल। इससे उन लोगों को जल्दी न्याय मिलेगा जिनका पैसा अटका होता है। पहले कोर्ट में सालों केस चलते थे, अब 6 महीने में निपटारे की उम्मीद है। साथ ही, इससे धोखाधड़ी करने वाले लोग भी डरेंगे और लेन-देन में ज़िम्मेदारी दिखाएँगे।
मेरी खुद की एक सीख
मेरे एक जानने वाले ने अपने दोस्त को ₹50,000 उधार दिए और चेक लिया। दोस्त का चेक बाउंस हो गया और उन्होंने इसे मामूली बात समझ कर छोड़ दिया। लेकिन आज की तारीख में अगर वे वही केस करते तो सिर्फ हफ्तों में उन्हें या तो पैसा मिल जाता या दोस्त को जेल हो जाती। इससे समझ आता है कि अपने हक के लिए सही वक्त पर एक्शन लेना ज़रूरी है।
अगर आप चेक का उपयोग करते हैं तो इस नए नियम को गंभीरता से लें। अब एक छोटी सी लापरवाही भी जेल तक ले जा सकती है। चाहे आप कोई बकाया चुका रहे हों या उधारी ले रहे हों, हर हालत में ईमानदारी और सावधानी ज़रूरी है। चेक देने से पहले सोचें, और लेने से पहले सतर्क रहें। यह नियम न सिर्फ धोखेबाज़ों पर लगाम लगाएगा, बल्कि ईमानदार लेन-देन को भी प्रोत्साहित करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या चेक बाउंस होने पर तुरंत जेल हो सकती है?
अगर मामला कोर्ट में गया और आप दोषी पाए गए, तो हाँ, जेल हो सकती है। हालांकि पहले कोर्ट नोटिस देता है।
2. चेक बाउंस पर कितना जुर्माना लग सकता है?
जुर्माना चेक की रकम से दोगुना तक हो सकता है।
3. क्या पुराना चेक बाउंस मामला अब नए नियम में आएगा?
पुराने मामलों पर भी तेज सुनवाई का असर पड़ेगा लेकिन सजा का निर्धारण कोर्ट करेगा।
4. क्या डिजिटल पेमेंट से ऐसे केस से बचा जा सकता है?
हाँ, UPI या बैंक ट्रांसफर में चेक बाउंस की संभावना नहीं होती इसलिए ज़्यादा सुरक्षित है।
5. चेक बाउंस पर केस कैसे किया जाए?
पहले चेक बाउंस का प्रमाण लेकर नोटिस भेजें, फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दायर करें। वकील की मदद ज़रूर लें।