New Rental Rights – अब किराए पर घर लेने वाले लोगों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। 2025 में कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए किराएदारों को मकान मालिक के अत्याचारों से बचाने के लिए 5 नए कानूनी अधिकार दिए हैं। पहले जहां किराएदार छोटी-छोटी बातों में मकान मालिक से डरते थे – जैसे जब मन हुआ किराया बढ़ा दिया, जब चाहे घर खाली करने का दबाव बनाया – अब ऐसा नहीं होगा। कोर्ट के इन नए निर्देशों के बाद अब किराएदारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और उनकी बात भी उतनी ही मानी जाएगी जितनी मकान मालिक की।
क्यों जरूरी था किराएदारों को कानूनी सुरक्षा देना?
भारत में बड़ी संख्या में लोग किराए के मकानों में रहते हैं, खासकर बड़े शहरों में। लेकिन ज़्यादातर किराएदारों को घर मालिक के नियमों पर ही चलना पड़ता है। कई बार ये नियम असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण भी होते हैं – जैसे अचानक किराया बढ़ाना, नोटिस दिए बिना घर खाली करने का दबाव बनाना, या सुविधा न देने पर भी शिकायत न सुनना।
व्यक्तिगत अनुभव: मेरे एक दोस्त को दिल्ली में सिर्फ इसलिए घर छोड़ना पड़ा क्योंकि उसने वॉशरूम में लीकेज की शिकायत की थी। मकान मालिक ने उसे 10 दिन में घर खाली करने को कह दिया। उस वक्त अगर ये अधिकार होते, तो वो कानूनी तौर पर अपने पक्ष में खड़ा हो सकता था।
कोर्ट द्वारा दिए गए 5 बड़े कानूनी अधिकार
2025 के इस नए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों के लिए 5 अहम अधिकार तय किए हैं, जो पूरे भारत में लागू होंगे:
1. बिना नोटिस जबरन निकाला नहीं जा सकता
- अब मकान मालिक किसी भी किराएदार को कम से कम 60 दिन की लिखित नोटिस दिए बिना नहीं निकाल सकता।
- अगर किरायेदार ने समय पर किराया दिया है और कोई नियम नहीं तोड़ा है, तो उसे जबरन बेदखल करना गैरकानूनी माना जाएगा।
2. मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकते
- कोर्ट के अनुसार, अब मकान मालिक हर 11 महीने या तयशुदा एग्रीमेंट के अनुसार ही किराया बढ़ा सकते हैं।
- अचानक 20-30% किराया बढ़ा देने की प्रथा पर रोक लगाई गई है।
उदाहरण: मुंबई में रहने वाली रीना शर्मा को हर साल 15% किराया बढ़ा दिया जाता था। अब उन्हें राहत मिलेगी क्योंकि बिना सहमति के किराया बढ़ाना अब कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ होगा।
3. मरम्मत की जिम्मेदारी अब सिर्फ किराएदार की नहीं
- अब यदि मकान में कोई बड़ी तकनीकी खराबी होती है – जैसे पानी की लीकेज, बिजली का शॉर्ट – तो मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वह उसकी मरम्मत करवाए।
- किराएदार पर केवल छोटे-मोटे रखरखाव का खर्च होगा।
4. किराए का रसीद देना जरूरी
- अब मकान मालिक को हर महीने किराए की पक्की रसीद देना जरूरी होगा, चाहे वो नकद में दिया गया हो या ऑनलाइन ट्रांसफर।
- इससे किराएदार को भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी सहारा मिलेगा।
नोट: कई लोग किराया देते हैं लेकिन उनके पास कोई प्रमाण नहीं होता, जिससे वे कोर्ट में भी कुछ साबित नहीं कर पाते थे।
5. किरायेदार की निजता का अधिकार
- अब मकान मालिक बिना पूर्व सूचना दिए किराएदार के घर में प्रवेश नहीं कर सकते।
- ये एक गंभीर उल्लंघन माना जाएगा और किराएदार पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकता है।
किरायेदारी समझौता अब होगा अनिवार्य
इस कोर्ट के फैसले के बाद यह भी निर्देश दिया गया है कि हर किराएदार और मकान मालिक के बीच एक लिखित रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी होगा, जिसमें यह सब बातें साफ-साफ लिखी हों:

अनुबंध बिंदु | विवरण |
---|---|
किराया कितना होगा | तयशुदा राशि और भुगतान की तारीख |
वृद्धि की शर्तें | कितने समय में और कितनी बढ़ेगी |
रहने की अवधि | कितने समय के लिए किराया समझौता है |
मरम्मत की जिम्मेदारी | कौन किस प्रकार की मरम्मत करवाएगा |
नोटिस की अवधि | निकासी से पहले कितने दिन पहले सूचना देनी होगी |
किरायेदारों के लिए ज़रूरी सुझाव
- हर किराया भुगतान का प्रमाण रखें – चाहे UPI ट्रांजैक्शन हो या नकद की रसीद।
- एग्रीमेंट जरूर करवाएं – बिना एग्रीमेंट के कानूनी लड़ाई कमजोर पड़ सकती है।
- किसी भी जबरदस्ती पर तुरंत पुलिस या RERA में शिकायत करें।
- अपने अधिकारों को जानें और दबाव में न आएं।
नया कानून कैसे बदलेगा आम किरायेदार की जिंदगी?
यह फैसला खासतौर पर उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो:
- नौकरी के लिए शहरों में शिफ्ट हुए हैं
- सिंगल रहते हैं और मकान मालिक उन्हें शक की नजर से देखते हैं
- छोटे कस्बों से आए हैं और कानूनी जानकारी नहीं रखते
व्यावहारिक बदलाव: पहले जहां किराएदार एक फोन कॉल पर डर जाता था कि कहीं मकान मालिक निकाल न दे, अब वह अपने हक की बात कर सकता है।
सरकार की जिम्मेदारी भी बढ़ी
अब राज्यों की सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर शहर में किरायेदारी से जुड़ी शिकायतों के लिए एक Fast Track Tribunal बनाया जाए, ताकि विवाद का निपटारा जल्दी हो सके।
2025 में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक मील का पत्थर है। इससे अब किराएदार और मकान मालिक के बीच शक्ति का संतुलन बेहतर होगा और आम आदमी को सम्मान के साथ रहने का अधिकार मिलेगा। यह कानून हर किरायेदार को न केवल सुरक्षा देता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि अब वो सिर्फ रहने वाला नहीं बल्कि एक कानूनी रूप से सुरक्षित नागरिक है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: क्या बिना रेंट एग्रीमेंट के भी ये अधिकार मिलेंगे?
उत्तर: नहीं, अधिकतर कानूनी अधिकार रेंट एग्रीमेंट होने पर ही प्रभावी माने जाएंगे। इसलिए एग्रीमेंट जरूर कराएं।
प्रश्न 2: अगर मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा दे तो क्या करें?
उत्तर: आप उससे लिखित में कारण मांग सकते हैं और कानूनन बिना सहमति किराया नहीं बढ़ाया जा सकता।
प्रश्न 3: मकान मालिक हर समय आकर चेक करता है, क्या ये सही है?
उत्तर: नहीं, आपकी निजता का उल्लंघन है। बिना सूचना के मकान मालिक का आना गैरकानूनी है।
प्रश्न 4: अगर मकान मालिक रसीद नहीं देता तो क्या कर सकते हैं?
उत्तर: आप उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और बैंक स्टेटमेंट या UPI रिकॉर्ड दिखाकर भुगतान सिद्ध कर सकते हैं।
प्रश्न 5: शिकायत कहां की जा सकती है?
उत्तर: आप स्थानीय पुलिस स्टेशन, नगर निगम या RERA अथॉरिटी में शिकायत कर सकते हैं।