भारतीय विमानों ने म्यांमार में ULFA(I) ठिकानों पर ड्रोन हमले किए? सेना ने किया इंकार, मसला तेज – India Myanmar Strike

India Myanmar Strike – भारत-म्यांमार सीमा पर एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। सोशल मीडिया और कुछ खबरों में दावा किया गया कि भारतीय वायुसेना ने म्यांमार के अंदर यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई) यानी ULFA(I) के ठिकानों पर ड्रोन हमले किए हैं। हालाँकि भारतीय सेना ने ऐसे किसी भी हमले से इनकार किया है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि सच्चाई क्या है? और क्यों एक बार फिर ULFA(I) जैसा संगठन चर्चा में है? चलिए इस पूरे मुद्दे को आम भाषा में विस्तार से समझते हैं।

ULFA(I) क्या है और क्यों बना खतरा?

ULFA(I), यानी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट), असम का एक अलगाववादी संगठन है जो लंबे समय से भारत से स्वतंत्र असम की मांग कर रहा है। इस संगठन की गतिविधियाँ म्यांमार के जंगलों से संचालित होती हैं और यह खासतौर पर पूर्वोत्तर भारत में हिंसा और उग्रवाद फैलाने के लिए जाना जाता है।

ULFA(I) के बारे में कुछ खास बातें:

  • संगठन की स्थापना 1979 में हुई थी।
  • मुख्यालय म्यांमार के सागाइंग और चिन क्षेत्रों के पास के जंगलों में माना जाता है।
  • प्रमुख नेता: परेश बरुआ, जो अब भी फरार है।
  • संगठन हथियारबंद लड़ाई में यकीन रखता है और कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है।

भारत-म्यांमार सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ: क्या हुआ हाल ही में?

हाल ही में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारतीय वायुसेना ने म्यांमार में ड्रोन के ज़रिए ULFA(I) के ठिकानों पर हमला किया। इस दावे के तुरंत बाद भारतीय सेना की ओर से स्पष्टीकरण आया जिसमें उन्होंने इस तरह की किसी भी सैन्य कार्रवाई से इनकार किया।

सेना का बयान:

“ऐसे किसी भी ड्रोन हमले की खबरें पूरी तरह से झूठी और भ्रामक हैं। हमने म्यांमार में कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की है।”

फिर इतनी चर्चा क्यों हो रही है?

हालांकि सेना ने हमलों से इनकार किया है, लेकिन कई स्थानीय सूत्रों का कहना है कि सीमा पर हाल के दिनों में हलचल काफी बढ़ गई है। इस वजह से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कुछ गुप्त ऑपरेशन जरूर चल रहा है।

चर्चा की प्रमुख वजहें:

  • स्थानीय ग्रामीणों ने कई ड्रोन की आवाजें सुनी हैं।
  • म्यांमार के सीमावर्ती इलाकों में बम धमाकों की खबरें।
  • ULFA(I) के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी।

भारत की रणनीति: ड्रोन हमले या कूटनीतिक दबाव?

भारत सरकार पिछले कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी नीति अपनाए हुए है। ड्रोन और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे तरीकों को अब खुले तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

संभावित रणनीतियाँ:

  • ड्रोन से निगरानी और टारगेटेड अटैक।
  • म्यांमार सरकार पर दबाव बनाकर उग्रवादियों को खत्म करना।
  • सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाना।

म्यांमार का राजनीतिक हालात और उसका असर

म्यांमार इस समय खुद आंतरिक संघर्षों से जूझ रहा है। सैन्य तख्तापलट के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता है और कई विद्रोही समूह सक्रिय हो गए हैं। इसका फायदा उठाकर ULFA(I) जैसे संगठन म्यांमार के दूरदराज इलाकों में अपने ठिकाने बना लेते हैं।

इसका असर भारत पर कैसे पड़ता है:

  • भारत की पूर्वोत्तर सीमा असुरक्षित हो जाती है।
  • म्यांमार से आतंकवादियों की घुसपैठ बढ़ती है।
  • ड्रग्स और हथियारों की तस्करी भी बढ़ती है।

आम लोगों की चिंता और सुरक्षा बलों की भूमिका

सीमा पर बसे गाँवों के लोग हमेशा डर के साए में जीते हैं। ड्रोन की आवाज़ें, हथियारों की आवाजें, और कभी-कभी सुरक्षा बलों की उपस्थिति उनके लिए सामान्य बात हो गई है।

एक गांव वाले की कहानी:

“हम रात को सोते नहीं, क्योंकि हमें पता नहीं होता कि कब क्या हो जाए। पिछले हफ्ते जंगल की तरफ धमाके हुए थे, सब डर के मारे घर से बाहर नहीं निकले।”

ULFA(I) के खिलाफ पहले क्या-क्या हुआ है?

वर्ष ऑपरेशन का नाम स्थान प्रमुख उपलब्धि
1990 ऑपरेशन बाजरंग असम ULFA पर पहला बड़ा हमला
1991 ऑपरेशन राइनो असम कई आतंकवादी मारे गए
2015 सर्जिकल स्ट्राइक म्यांमार NSCN और ULFA के ठिकाने तबाह
2021 कोऑर्डिनेटेड सर्च नागालैंड-मनिपुर सीमा गुप्त ऑपरेशन
2024 असम रेंज ऑपरेशन भारत-म्यांमार सीमा ULFA की गतिविधियों पर रोक
2025 ड्रोन निगरानी म्यांमार सीमा संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी

क्या भारत को म्यांमार के भीतर कार्रवाई करनी चाहिए?

ये सवाल अब बहस का विषय बन चुका है कि क्या भारत को अपनी सुरक्षा के लिए म्यांमार के भीतर घुसकर कार्रवाई करनी चाहिए, जैसा 2015 में किया गया था। विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है, लेकिन आम जनता और सुरक्षा बल यही चाहते हैं कि उग्रवादियों को उनके ठिकानों पर ही खत्म किया जाए।

मेरे व्यक्तिगत अनुभव से जुड़ा पहलू

मैं खुद असम के तेजपुर में कुछ महीने रहा हूँ। वहाँ लोगों में ULFA(I) को लेकर काफी डर है। एक बार मेरे एक दोस्त का चाचा, जो कि सरकारी कर्मचारी थे, ULFA के अपहरण का शिकार हो गए थे। ऐसे अनुभवों से साफ होता है कि ये सिर्फ खबर नहीं, एक हकीकत है जिससे आम लोग जूझते हैं।

भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, लेकिन साथ ही पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संतुलन भी बनाए रखना होगा। ULFA(I) जैसे संगठन न सिर्फ देश की सुरक्षा बल्कि आम लोगों के जीवन को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी इस मसले का हल खोजा जाए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या भारत ने वाकई म्यांमार में ड्रोन हमला किया?
नहीं, भारतीय सेना ने ऐसी खबरों को खारिज कर दिया है।

2. ULFA(I) का उद्देश्य क्या है?
ULFA(I) भारत से अलग एक स्वतंत्र असम की मांग करता है।

3. क्या म्यांमार भारत के उग्रवादियों को समर्थन देता है?
सीधे समर्थन नहीं, लेकिन म्यांमार की अस्थिरता का फायदा उग्रवादी उठाते हैं।

4. ड्रोन हमलों का क्या फायदा है?
ड्रोन हमले लक्षित और सटीक होते हैं, जिनसे collateral damage कम होता है।

5. भारत ने पहले भी म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक की है?
हाँ, 2015 में भारत ने म्यांमार के भीतर जाकर उग्रवादी ठिकानों को तबाह किया था।

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