सावन का कहर जारी: 60 जिलों में यलो अलर्ट, स्कूल-कॉलेज रहेंगे बंद – Sawan Monsoon Alert July 2025

Sawan Monsoon Alert – जुलाई 2025 का सावन सिर्फ हरियाली और ठंडक ही नहीं, बल्कि आफत बनकर भी आया है। भारी बारिश ने उत्तर भारत के कई हिस्सों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई राज्यों में नदियां उफान पर हैं, और स्कूल-कॉलेजों को सुरक्षा के लिहाज़ से बंद कर दिया गया है। 60 जिलों में यलो अलर्ट जारी कर दिया गया है, जिससे साफ है कि खतरा टला नहीं है। ऐसे हालात में ज़रूरी है कि हम सतर्क रहें, और समय पर ज़रूरी फैसले लें।

क्या होता है यलो अलर्ट?

यलो अलर्ट मौसम विभाग द्वारा तब जारी किया जाता है जब किसी क्षेत्र में भारी बारिश, आंधी या बाढ़ की संभावना हो। इसका मतलब यह होता है कि आम जनता को सतर्क रहना चाहिए और ज़रूरत न हो तो घर से बाहर न निकले। यलो अलर्ट न तो पूरी तरह आपदा की घोषणा होती है और न ही सामान्य स्थिति – बल्कि ये चेतावनी होती है कि आगे कुछ गंभीर हो सकता है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • यलो अलर्ट का मतलब – “Be Aware”
  • बारिश, आंधी, बिजली गिरने की आशंका
  • स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में छुट्टी घोषित की जा सकती है
  • यात्रा या किसी आयोजन को टालने की सलाह दी जाती है

60 जिलों में यलो अलर्ट – किन-किन राज्यों पर असर?

मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और हिमाचल प्रदेश के करीब 60 जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया है। इनमें कुछ ज़िले ऐसे हैं जहां पहले ही भारी जलभराव, भूस्खलन और ट्रैफिक की दिक्कतें देखने को मिल रही हैं।

प्रभावित जिलों की सूची का संक्षिप्त विवरण:

राज्य प्रमुख प्रभावित जिले स्थिति
उत्तर प्रदेश लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर भारी बारिश, स्कूल बंद
बिहार पटना, भागलपुर, दरभंगा जलभराव, ट्रेनें लेट
उत्तराखंड नैनीताल, देहरादून, टिहरी भूस्खलन, रोड ब्लॉक
हिमाचल प्रदेश मंडी, कांगड़ा, शिमला नदी उफान पर, खतरे का अलर्ट
मध्य प्रदेश रीवा, सतना, जबलपुर सामान्य से अधिक वर्षा
झारखंड रांची, धनबाद, बोकारो भारी बादल, स्कूल बंद

स्कूल-कॉलेज क्यों बंद किए जा रहे हैं?

जब भारी बारिश की स्थिति बनती है, तब सबसे ज्यादा असर स्कूल-कॉलेजों पर पड़ता है क्योंकि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले आती है। लखनऊ और देहरादून जैसे शहरों में पहले ही स्कूलों की छुट्टियों की घोषणा कर दी गई है। इससे बच्चों और अभिभावकों को काफी राहत मिलती है।

मुख्य कारण:

  • जलभराव और फिसलन से दुर्घटनाओं का डर
  • ट्रैफिक जाम और देर से स्कूल पहुंचने की समस्या
  • स्कूल बिल्डिंग में पानी भरने का खतरा

सावन की बारिश – आनंद या आफत?

हम भारतीयों के लिए सावन का महीना बेहद खास होता है। पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं, मौसम सुहावना हो जाता है, और चारों ओर हरियाली छा जाती है। लेकिन जब बारिश अपनी सीमा पार कर दे, तो वही आनंद आफत में बदल जाता है।

व्यक्तिगत अनुभव:
मैं खुद उत्तराखंड के एक पहाड़ी कस्बे में रहता हूं। पिछले साल अगस्त में ऐसी ही एक रात को बारिश इतनी तेज़ हुई कि पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूब गया, और बिजली 3 दिन तक नहीं आई। तब एहसास हुआ कि कुदरत के आगे कोई नहीं टिक सकता। ये सिर्फ बारिश नहीं थी, एक चेतावनी थी कि हमें पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

क्या करें – क्या न करें?

जब यलो अलर्ट जारी होता है, तब कुछ ज़रूरी एहतियातें अपनाकर हम खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।

क्या करें:

  • मौसम की जानकारी रोज़ाना देखें (IMD की वेबसाइट या न्यूज़ ऐप से)
  • अगर घर में हैं, तो खिड़कियां-दरवाज़े बंद रखें
  • बिजली के उपकरणों से दूर रहें
  • बच्चों को बाहर खेलने न दें

क्या न करें:

  • बाढ़ वाले इलाकों में न जाएं
  • बिना ज़रूरत बाहर निकलने से बचें
  • अफवाहों पर ध्यान न दें
  • खुले में बिजली के खंभों या पेड़ों के नीचे खड़े न हों

सरकारी तैयारी और मदद

राज्य सरकारों ने राहत कार्यों के लिए विशेष टीमें तैनात की हैं। एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की यूनिट्स को पहले ही सतर्क कर दिया गया है। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन ने कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए हैं जहाँ से 24×7 सहायता मिल रही है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • कंट्रोल रूम नंबर जारी
  • राहत शिविरों की व्यवस्था
  • फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस अलर्ट मोड पर
  • गांवों में नाव की सुविधा और राशन किट मुहैया

आम नागरिक क्या करें?

सावन की बारिश में हर कोई प्रभावित होता है – चाहे वो किसान हो, ऑफिस जाने वाला व्यक्ति हो या छात्र। ऐसे में हमें सामूहिक रूप से संयम और समझदारी से काम लेना चाहिए।

कुछ आसान लेकिन असरदार कदम:

  • मुहल्ले में पानी जमा न होने दें
  • किसी जरूरतमंद की मदद करें
  • सोशल मीडिया पर सही जानकारी फैलाएं
  • बुजुर्गों और बच्चों का खास ध्यान रखें

एक उदाहरण:
मेरे पड़ोस में एक बुजुर्ग दंपत्ति हैं, जिनके घर के बाहर बारिश का पानी भर गया था। पड़ोसियों ने मिलकर उनके घर के आगे से पानी निकालने के लिए खुदाई की, और राहत पहुंचाई। ऐसे छोटे-छोटे प्रयास किसी की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

सावन की बारिश जहां एक ओर राहत देती है, वहीं दूसरी ओर कई बार तबाही का रूप भी ले सकती है। ज़रूरी है कि हम समय पर सतर्क रहें, प्रशासन की सलाह मानें और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहें। बारिश को पूरी तरह रोक नहीं सकते, लेकिन उसके असर को ज़रूर कम कर सकते हैं – समझदारी, सहयोग और सजगता से।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. यलो अलर्ट का क्या मतलब होता है?
यलो अलर्ट एक चेतावनी है जो मौसम विभाग जारी करता है, जब किसी क्षेत्र में गंभीर मौसम की आशंका होती है, लेकिन स्थिति अभी नियंत्रण में होती है।

2. क्या स्कूल-कॉलेज हर यलो अलर्ट में बंद होते हैं?
नहीं, यह स्थानीय प्रशासन के निर्णय पर निर्भर करता है। यदि बारिश अधिक हो और खतरा हो, तभी स्कूल बंद किए जाते हैं।

3. यलो अलर्ट में यात्रा करना कितना सुरक्षित है?
यदि बहुत ज़रूरी न हो तो यात्रा से बचना चाहिए। सड़कें फिसलन भरी और जलमग्न हो सकती हैं।

4. सावन की बारिश कब तक चलती है?
आमतौर पर जुलाई से अगस्त के बीच सावन की बारिश होती है, लेकिन यह मौसम के मिज़ाज पर निर्भर करता है।

5. हम घर में कैसे तैयार रहें जब यलो अलर्ट हो?
अपने पास टॉर्च, चार्ज मोबाइल, जरूरी दवाइयां और सूखा राशन रखें। बिजली के उपकरणों से दूर रहें और बाहर निकलने से बचें।

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