Sister Property Rights – 8 जुलाई 2025 को देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने करोड़ों बहनों की ज़िंदगी में एक नई रोशनी की किरण जगा दी है। अब बहनों को भी भाई की पूरी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पहले तक संपत्ति के बंटवारे में अक्सर बेटियों या बहनों को नज़रअंदाज़ किया जाता था, लेकिन इस फैसले ने कानूनन उन्हें उनका हक दिला दिया है। यह फैसला न सिर्फ कानूनी तौर पर बल्कि सामाजिक तौर पर भी एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है, जिससे महिलाएं अब और अधिक सशक्त महसूस करेंगी।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बहनों को मिला बराबरी का हक
8 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक पारिवारिक संपत्ति विवाद के केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर बहन अविवाहित हो या उसकी आजीविका की स्थिर व्यवस्था न हो, तो उसे भी भाई के समान पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिलेगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
- बहन को भी अपने पिता की संपत्ति में उसी तरह हिस्सा मिलेगा, जैसे बेटे को मिलता है।
- सिर्फ नाम मात्र की नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप से संपत्ति पर अधिकार सुनिश्चित किया जाएगा।
- इस अधिकार को नकारने वाले किसी भी पारिवारिक सदस्य पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
अब तक की स्थिति क्या थी?
भारत में पारंपरिक सोच के चलते बेटों को ही संपत्ति का उत्तराधिकारी माना जाता था। बहुत सारे मामलों में बहनों को या तो संपत्ति से पूरी तरह वंचित कर दिया जाता था या सिर्फ नाम भर के लिए हिस्सा दिया जाता था।
पिछली स्थिति की प्रमुख बातें:
- ग्रामीण इलाकों में बहनों को संपत्ति देने का चलन बहुत ही कम था।
- कई बार लड़कियों की शादी के वक्त ‘दहेज’ के नाम पर ही संपत्ति का हिस्सा मान लिया जाता था।
- कोर्ट में चल रहे सैकड़ों केस इस बात की गवाही देते हैं कि बहनों को हक के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती थी।
इस फैसले का महिलाओं पर क्या असर पड़ेगा?
यह फैसला बहनों के अधिकारों को मज़बूत करता है और उन्हें पारिवारिक संपत्ति में भागीदार बनाता है। अब कोई भी भाई या अन्य परिजन बहन के हक को नकार नहीं सकते।
फैसले के संभावित लाभ:
- महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को मिलेगा बढ़ावा।
- शादीशुदा और अविवाहित दोनों बहनों को मिलेगा हक।
- पारिवारिक विवादों में महिलाओं को न्याय मिलेगा।
- समाज में महिलाओं की स्थिति मज़बूत होगी।
एक सच्ची कहानी: जब बहन को मिला इंसाफ
दिल्ली की रहने वाली 42 वर्षीय किरण शर्मा की कहानी इस फैसले के महत्व को और ज़्यादा स्पष्ट करती है। किरण के पिता की 2 करोड़ की प्रॉपर्टी थी, लेकिन पिता के निधन के बाद उनके भाइयों ने कहा कि बेटियों का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं। किरण ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और 7 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पहुंचा। अब 8 जुलाई को आया फैसला किरण जैसी लाखों महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बन गया है।
इस फैसले के बाद क्या करना होगा?
अगर आप एक बहन हैं और आपको लगता है कि आपको पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिला है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकती हैं:
आवश्यक कदम:

- पिता के नाम की संपत्ति की रजिस्ट्री दस्तावेज़ प्राप्त करें।
- कानूनी सलाहकार या वकील से संपर्क करें।
- परिवार से बातचीत कर हल निकालने की कोशिश करें।
- ज़रूरत पड़ने पर कोर्ट में दावा दर्ज करें।
कौन-कौन आ सकता है इस दायरे में?
नीचे दी गई टेबल में बताया गया है कि किन बहनों को ये हक मिलेगा और किन परिस्थितियों में वो इसका दावा कर सकती हैं:
स्थिति | अधिकार की स्थिति |
---|---|
अविवाहित बहन | संपत्ति में बराबरी का हक |
विधवा बहन | संपत्ति में बराबरी का हक |
शादीशुदा लेकिन आर्थिक रूप से निर्भर | संपत्ति में बराबरी का हक |
स्वावलंबी शादीशुदा बहन | स्थिति के आधार पर कोर्ट विचार करेगा |
बहन को पिता की वसीयत में नाम नहीं | कोर्ट में दावा करने का अधिकार |
केवल भाइयों का नाम रजिस्ट्री में | कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है |
बहन विदेश में है | अधिकार भारत के कानून अनुसार मान्य है |
संपत्ति विवाद में क्या-क्या दस्तावेज़ ज़रूरी होंगे?
- पिता की मृत्यु प्रमाण पत्र
- रजिस्ट्री और खसरा-खतौनी के दस्तावेज़
- परिवार रजिस्टर की नकल
- कोर्ट में दायर याचिका और सबूत
सामाजिक बदलाव की ओर एक मजबूत क़दम
इस फैसले से सामाजिक सोच में बदलाव आना तय है। अब लड़कियों को भी उनके परिवार में अधिकार मिलेगा, जिससे उन्हें सिर्फ शादी और गृहस्थ जीवन तक सीमित नहीं रखा जा सकेगा। यह कदम समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला बहनों के अधिकारों को मजबूती से स्थापित करता है। यह सिर्फ एक कानूनी पहल नहीं, बल्कि समाज के हर हिस्से में समानता और न्याय को बढ़ावा देने वाला कदम है। अब हर बहन को चाहिए कि वो अपने हक के लिए खड़ी हो और इस फैसले का पूरा लाभ उठाए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: क्या शादीशुदा बहन को भी अब संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा?
उत्तर: हां, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शादीशुदा बहनों को भी पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा, खासकर यदि वह आर्थिक रूप से निर्भर हैं।
प्रश्न 2: अगर बहन विदेश में रहती है तो क्या वह भी दावा कर सकती है?
उत्तर: जी हां, भारतीय नागरिक चाहे कहीं भी रहते हों, उन्हें भारतीय कानून के तहत अपने अधिकार मिलते हैं।
प्रश्न 3: क्या यह फैसला पहले से चल रहे मामलों पर भी लागू होगा?
उत्तर: हां, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर पहले से चल रहे मामलों पर भी पड़ सकता है।
प्रश्न 4: संपत्ति में हक के लिए कोर्ट में केस दायर करने में कितना समय लगता है?
उत्तर: यह मामले की जटिलता और कोर्ट की प्रक्रिया पर निर्भर करता है, परंतु सामान्यतः 1 से 3 साल का समय लग सकता है।
प्रश्न 5: अगर भाई इस फैसले को मानने से इनकार करे तो क्या किया जाए?
उत्तर: ऐसी स्थिति में आप कोर्ट का रुख कर सकती हैं और कानूनी सहायता से अपना हक सुनिश्चित करवा सकती हैं।