अब बच्चों को नहीं मिलेगा पिता की प्रॉपर्टी में हक! Supreme Court का 15 July 2025 का बड़ा फैसला जानिए

Supreme Court News – सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने करोड़ों लोगों के ज़ेहन में हलचल मचा दी है। यह फैसला खास तौर पर उन बच्चों के लिए बड़ा झटका है जो अपने पिता की संपत्ति में अपने हक को लेकर आश्वस्त थे। अब कोर्ट के इस आदेश के बाद बच्चों को पिता की संपत्ति में कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा, अगर वो संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड यानी खुद अर्जित की गई हो। इस नए कानून ने भारत के पारंपरिक संयुक्त परिवार व्यवस्था और विरासत नियमों को पूरी तरह से नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला?

15 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी बेटा या बेटी अपने पिता की स्वयं की कमाई से खरीदी गई संपत्ति पर हक नहीं जता सकता, जब तक कि पिता ने अपनी वसीयत में ऐसा कुछ न लिखा हो। अगर संपत्ति पिता की खुद की कमाई से अर्जित है, तो वह उसे किसी को भी देने के लिए स्वतंत्र हैं।

फैसले की प्रमुख बातें:

  • यह नियम केवल सेल्फ-अक्वायर्ड प्रॉपर्टी पर लागू होगा।
  • अगर संपत्ति पैतृक (ancestral) है, तो बच्चों को हक रहेगा।
  • पिता की मृत्यु के बाद भी अगर वसीयत नहीं है, तब भी यह लागू होगा।
  • कोर्ट ने कहा – “बेटा पिता की संपत्ति का कानूनी वारिस नहीं है, जब तक कि पिता उसे वारिस घोषित न करें।”

सेल्फ-अक्वायर्ड और पैतृक संपत्ति में अंतर क्या है?

सेल्फ-अक्वायर्ड प्रॉपर्टी:

  • पिता की अपनी मेहनत, नौकरी या व्यवसाय से अर्जित संपत्ति।
  • इस पर बच्चों का कोई अधिकार नहीं है अगर वसीयत में नाम नहीं है।

पैतृक संपत्ति:

  • चार पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति।
  • इसमें बेटे-बेटियों का जन्म से अधिकार होता है, चाहे पिता वसीयत करें या नहीं।

यह फैसला आम लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित करेगा?

इस फैसले से खासकर उन परिवारों पर असर पड़ेगा जहाँ बच्चे पहले से सोचकर बैठे हैं कि उन्हें अपने पिता की प्रॉपर्टी का हिस्सा मिलेगा। अब स्थिति यह है कि अगर किसी पिता ने संपत्ति खरीदी है अपनी कमाई से, तो वह अपने बच्चों को उसमें से हिस्सा देना चाहता है या नहीं, यह पूरी तरह उसकी इच्छा पर निर्भर करेगा।

उदाहरण के तौर पर समझिए:

मामला 1:
राजेश एक सरकारी कर्मचारी थे। उन्होंने अपनी नौकरी के पैसों से एक घर खरीदा। उनके बेटे ने कोर्ट में दावा किया कि वह उस घर का मालिक है क्योंकि वह बेटा है। लेकिन कोर्ट ने कहा – “यह संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड है, बेटा तब तक दावा नहीं कर सकता जब तक कि वसीयत में उसका नाम न हो।”

मामला 2:
विनोद के दादा की ज़मीन पीढ़ियों से चली आ रही थी। उस पर विनोद और उसके भाइयों का अधिकार जन्म से ही था। इस केस में कोर्ट ने बेटों के हक को स्वीकार किया क्योंकि वह पैतृक संपत्ति थी।

अब माता-पिता को क्या करना चाहिए?

बच्चों में विवाद न हो, इसके लिए माता-पिता को स्पष्ट वसीयत (Will) बनानी चाहिए। इससे भविष्य में संपत्ति को लेकर कोई गलतफहमी या कानूनी झगड़ा नहीं होगा।

वसीयत बनाने के लाभ:

  • संपत्ति का साफ-साफ बंटवारा हो जाएगा।
  • कोर्ट-कचहरी की नौबत नहीं आएगी।
  • बच्चों और परिवार के बीच रिश्ते खराब नहीं होंगे।

बच्चों को अब क्या समझना चाहिए?

  • संपत्ति पर हक मिलना अब जन्मसिद्ध अधिकार नहीं रहा।
  • माता-पिता की भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करना ज़रूरी है।
  • अगर माता-पिता ने वसीयत नहीं बनाई, तो उनके फैसले का सम्मान करें।

क्या यह फैसला सभी धर्मों पर लागू होगा?

जी हां, यह फैसला सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से मान्य होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत जारी किया गया है, जो पूरे भारत पर लागू होता है।

क्या अब बेटियों का अधिकार भी खत्म हो जाएगा?

नहीं, बेटियों के लिए भी वही नियम लागू होगा जो बेटों के लिए हैं। अगर संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड है और वसीयत में नाम नहीं है, तो उन्हें भी हक नहीं मिलेगा। अगर पैतृक संपत्ति है, तब बेटियों को भी बराबर का अधिकार रहेगा।

ऐसे फैसले क्यों ज़रूरी हैं?

  • कई बार बच्चे बूढ़े माता-पिता को घर से निकाल देते हैं ये सोचकर कि संपत्ति अब उनकी हो गई।
  • माता-पिता को यह अधिकार होना चाहिए कि वो अपनी कमाई की संपत्ति जिसे चाहें उसे दें।
  • इससे ज़रूरी पारिवारिक अनुशासन बना रहेगा और बुजुर्गों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

आज के इस फैसले से यह स्पष्ट है कि अब बच्चों को अधिकार से ज़्यादा रिश्ते निभाने पर ध्यान देना होगा। कोई भी पिता अगर अपने बच्चों के प्रति प्यार रखता है, तो वह वसीयत में उनके नाम ज़रूर करेगा। लेकिन अगर बच्चे अपने ही माता-पिता से दूरी बना लें, तो उन्हें संपत्ति का दावा करने का कोई नैतिक या कानूनी हक नहीं होना चाहिए।

FAQs:

1. क्या यह नियम सिर्फ बेटों पर लागू होगा?
नहीं, यह नियम बेटा और बेटी दोनों पर समान रूप से लागू होगा।

2. अगर वसीयत नहीं बनी हो तो क्या होगा?
अगर संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड है और वसीयत नहीं है, तो बच्चों को कानूनी हक नहीं मिलेगा। कोर्ट के अनुसार यह पिता की मर्ज़ी होगी।

3. क्या नाती-पोतों को भी अब संपत्ति नहीं मिलेगी?
अगर संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड है और वसीयत नहीं है, तो अगली पीढ़ियों को भी अधिकार नहीं होगा।

4. पैतृक संपत्ति में क्या अब भी बच्चों को अधिकार रहेगा?
हां, पैतृक संपत्ति में बेटा-बेटी दोनों को जन्म से अधिकार है।

5. क्या माता-पिता को वसीयत बनाना ज़रूरी है?
हां, अगर वे संपत्ति को किसी विशेष को देना चाहते हैं, तो वसीयत बनाना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।

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