Tenant Property Rights – आजकल हर छोटा-बड़ा आदमी किराए पर घर लेकर ही शहरों में रह रहा है। चाहे नौकरी करनी हो या पढ़ाई, महानगरों में रहना ज़रूरी हो गया है। लेकिन कई बार किराएदारों को मकान मालिक की मनमानी, बेवजह की शर्तों और अचानक निकाले जाने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। अब इस सब पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 2025 से कुछ नए नियम लागू कर दिए हैं, जिससे किराएदारों को अब और ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। यह नए किराया कानून अब मकान मालिकों को मनमानी करने से रोकेंगे और किराएदारों को एक नई ताकत देंगे। आइए जानते हैं कि आखिर ये नए नियम क्या हैं और ये आम लोगों की ज़िंदगी में क्या बदलाव लाएंगे।
नया किराया कानून 2025: आखिर क्यों है यह ज़रूरी?
बढ़ती हुई शहरीकरण की वजह से आज ज्यादातर लोग किराए पर रहने को मजबूर हैं। लेकिन किराएदारों की स्थिति पहले काफी कमजोर होती थी। मकान मालिक बिना नोटिस दिए निकाल देते थे, मनमाने रेंट बढ़ा देते थे और कई बार तो ज़रूरी सुविधाएं भी नहीं देते थे। ऐसे में सरकार ने “मॉडल टेनेंसी एक्ट 2025” के तहत कुछ सख्त नियम लागू किए हैं, जिससे अब किराएदारों को भी कानूनी सुरक्षा मिल सकेगी।
किराएदारों को मिलने वाले 5 अहम अधिकार
सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों के तहत किराएदारों को निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं:
- बिना नोटिस निकाला नहीं जा सकता: अब मकान मालिक बिना 90 दिन की लिखित सूचना दिए किसी किराएदार को नहीं निकाल सकता।
- मनमानी रेंट बढ़ोतरी पर रोक: अब हर साल किराया मनमर्जी से नहीं बढ़ाया जा सकता। इसके लिए पहले से तय नियम होंगे और दोनों पक्षों की सहमति ज़रूरी होगी।
- सुविधाओं की गारंटी: बिजली, पानी, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं मकान मालिक को सुनिश्चित करनी होंगी।
- किरायेदारी का रजिस्ट्रेशन: अब हर किराए के समझौते का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी होगा, जिससे दोनों पक्षों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- सुरक्षा राशि की सीमा तय: अब मकान मालिक 2 महीने से ज्यादा की सिक्योरिटी डिपॉज़िट नहीं ले सकता (व्यवसायिक प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम 6 महीने)।
नए नियमों से बदली किराएदारों की ज़िंदगी – कुछ सच्ची कहानियाँ
रीना, एक वर्किंग वुमन, दिल्ली

रीना एक निजी कंपनी में काम करती हैं और दिल्ली में किराए के फ्लैट में रहती हैं। पहले उनके मकान मालिक हर 6 महीने में किराया बढ़ा देते थे। रीना कुछ बोलतीं तो उन्हें निकालने की धमकी मिलती। लेकिन अब नए नियमों के चलते मकान मालिक को लिखित नोटिस देना पड़ता है और बिना सहमति किराया नहीं बढ़ा सकते। रीना कहती हैं, “अब मुझे अपने घर से निकाले जाने का डर नहीं रहता। ये कानून वाकई ज़रूरी था।”
रामेश्वर जी, एक बुजुर्ग किराएदार, लखनऊ
रामेश्वर जी पिछले 10 सालों से एक मकान में किराए पर रह रहे हैं। मकान मालिक ने अचानक उन्हें घर खाली करने को कह दिया। पहले उनके पास कोई कानूनी सहारा नहीं था, लेकिन अब उन्होंने नए कानून के तहत शिकायत दर्ज करवाई और उन्हें 90 दिन का समय मिला नया घर ढूंढने के लिए।
किराए का रजिस्ट्रेशन – क्यों है यह ज़रूरी?
सरकार ने अब यह नियम बनाया है कि हर किरायेदारी का समझौता रजिस्टर होना चाहिए। इसका फायदा यह है कि:
- दोनों पक्षों की जिम्मेदारियाँ साफ-साफ लिखी होंगी।
- भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में दस्तावेज़ कानूनी सबूत बन सकते हैं।
- किराएदार भी सुरक्षित रहेगा और मकान मालिक को भी आश्वासन मिलेगा।
बिंदु | पहले क्या था | अब क्या है (2025 से लागू) |
---|---|---|
किराया बढ़ाना | मकान मालिक की मर्जी से | सहमति और कानून के तहत |
निकाले जाने का नियम | बिना नोटिस भी निकाल सकते थे | 90 दिन की लिखित सूचना ज़रूरी |
सिक्योरिटी डिपॉज़िट | जितना चाहें ले सकते थे | अधिकतम 2 महीने का किराया |
रजिस्ट्रेशन | ज़रूरी नहीं था | अब अनिवार्य हो गया है |
सुविधा की जिम्मेदारी | किराएदार ही करता था | अब मकान मालिक की ज़िम्मेदारी |
मकान मालिकों के लिए भी हैं कुछ अधिकार
इस कानून से सिर्फ किराएदार ही नहीं, मकान मालिकों को भी फायदा होगा:
- किराएदार अगर नुकसान करता है तो मकान मालिक कानून के तहत भरपाई ले सकता है।
- किराया समय पर नहीं मिलने पर कानूनी कार्रवाई संभव है।
- मकान मालिक को भी किराएदार की जानकारी के लिए रजिस्ट्रेशन के जरिये भरोसा मिलेगा।
ध्यान रखें ये बातें – किराएदार और मकान मालिक दोनों
- हमेशा लिखित एग्रीमेंट बनवाएं और उसमें सभी शर्तें स्पष्ट लिखवाएं।
- रेंट का ऑनलाइन भुगतान करें ताकि रिकॉर्ड बना रहे।
- किसी भी समस्या की स्थिति में स्थानीय किराया प्राधिकरण से संपर्क करें।
मेरे निजी अनुभव से – कैसे बदली मेरी ज़िंदगी
मैं खुद भी दो साल तक एक फ्लैट में किराए पर रहा, जहां मकान मालिक हर 4 महीने में नया नियम बना देता था। कभी दोस्तों को रुकने नहीं देने की शर्त, तो कभी जबरदस्ती समय से पहले घर खाली करने का दबाव। तब मुझे एहसास हुआ कि जब तक किराएदार को अधिकार नहीं मिलते, तब तक स्थिति नहीं बदलेगी। 2025 के इन नए नियमों ने वाकई हालात को बदल दिया है। अब नए घर में शांति से रह रहा हूं और दोनों पक्षों में समझदारी बनी हुई है।
किराएदारों को अब मिल रहा है उनका हक
2025 के नए नियमों के चलते किराएदारों की ज़िंदगी आसान बन गई है। अब मनमानी, डर और असुरक्षा से राहत मिल रही है। मकान मालिक और किराएदार के रिश्ते अब ज्यादा संतुलित और पारदर्शी बनेंगे। अगर आप भी किराए पर रहते हैं, तो इन नियमों को ज़रूर जानें और अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या मकान मालिक बिना बताये किराएदार को निकाल सकता है?
नहीं, अब मकान मालिक को 90 दिन पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
2. क्या हर किराया एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है?
हाँ, 2025 के नियमों के अनुसार अब किराया समझौते का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी कर दिया गया है।
3. सिक्योरिटी डिपॉज़िट की अधिकतम सीमा क्या है?
आवासीय प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम 2 महीने का किराया और व्यवसायिक प्रॉपर्टी के लिए 6 महीने तक का डिपॉज़िट लिया जा सकता है।
4. अगर मकान मालिक सुविधा नहीं देता तो क्या करें?
आप स्थानीय किराया प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
5. क्या किराएदार के पास अब कानूनी सुरक्षा है?
जी हाँ, 2025 के नए नियमों के तहत किराएदार को पूरी कानूनी सुरक्षा और अधिकार मिले हैं।